रेत लोड ट्रैक्टर की ठोकर से महिला व बच्चे सहित सात घायल, रेत माफियाओं को नही है लोगों के जान की परवाह, विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में,,,

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कोरबा: शहर में सक्रिय रेत माफियाओं को लोगों के जान की जरा भी परवाह नही है। यह बात एक बार फिर उस समय साबित हो गया, जब रेत लोड ट्रैक्टर के चालक ने कार को ठोकर मार दिया। घटना में दो महिला और चार बच्चे सहित सात लोग घायल हो गए। उन्हें पुलिस ने इलाज के लिए अस्पताल दाखिल कराया।

घटना सोमवार की रात करीब 9 बजे घटित हुई। बताया जा रहा है कि दर्री क्षेत्र में रहने वाला एक परिवार विवाह कार्यक्रम में शामिल होने जा रहा था। वे राताखार मार्ग में पहुंचे थे । इसी दौरान रेत लोड ट्रैक्टर के चालक ने तेज एवं लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए कार को चपेट में ले लिया। ट्रैक्टर की ठोकर से कार क्षतिग्रस्त हो गई। उसमें सवार वहीदा व फरीदा खान नामक दो महिला के अलावा चार बच्चे व एक अन्य गंभीर रूप से जख्मी हो गए। घटना को अंजाम देकर चालक ट्रैक्टर छोड़ भाग निकला। सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने सभी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल रवाना कर दिया। जहां महिलाओं का उपचार जारी है । गौरतलब है कि इससे पहले भी अवैध रूप से चल रहे रेत लोड वाहन की चपेट में आकर मासूम और वृद्ध की मौत हुई थी। रेत से भरे टिपर के चालक ने टीपी नगर क्षेत्र में एक के बाद एक आधे दर्जन चार पहिया को ठोकर मार कर क्षतिग्रस्त कर दिया था। शहर में आए दिन हो रहे हादसे के बावजूद न तो रेत माफिया अपने अवैध कारोबार को अंजाम देने से बाज आ रहे और ना ही जवाबदार विभाग के अधिकारियों को इससे कोई सरोकार है। वे मामला तूल पकड़ने पर कार्रवाई की औपचारिकता ही पूरी करते हैं। जिससे सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है। बहरहाल पुलिस ने मामले में दुर्घटनाकारित ट्रैक्टर को जप्त कर लिया है।पुलिस वैधानिक कार्रवाई कर रही है।

शहर के अलावा उप नगरीय और ग्रामीण अंचल में रेत घाट पूरी तरह से बंद है। जिसका फायदा रेत माफिया उठा रहे हैं । उनके द्वारा ही निजी और सरकारी निर्माण कार्य के लिए रेत की आपूर्ति की जा रही है। जिससे ठेकेदारों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

बीते दिनों रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन पर अंकुश लगाने दिशा निर्देश जारी किया था। जिसमे रेत की तस्करी करते पकड़े जाने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान भी था। इस संबंध में रेत घाटों के आसपास सूचना पटल भी लगाए गए थे । इसका खौफ रेत माफियाओं में नहीं है। जिससे माफियाओं को संरक्षण मिलने का कयास लगाया जा रहा है।

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