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बिलासपुर// हाईकोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर को न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के मामले में नोटिस जारी किया है। अगर कलेक्टर का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो उनके खिलाफ क्रिमिनल प्रोसीडिंग चल सकती है, जिसमें सजा का भी प्रावधान है।
मामला क्या है?
नेवसा के किसान अजय कश्यप और उनके सह-स्वामी भाई-बहनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पुनीतराम कश्यप ने उनकी संयुक्त कृषि भूमि को फर्जी तरीके से किसान पोर्टल में अपने नाम से पंजीकृत कर लिया है और समर्थन मूल्य पर धान बेच रहा है। यह फर्जीवाड़ा पटवारी द्वारा जांच में पुष्टि भी हो चुकी है।
कलेक्टर और अन्य अफसरों की लापरवाही
याचिकाकर्ता किसान ने तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी उचित कार्रवाई नहीं की। मजबूर होकर किसान ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से कलेक्टर को जवाब देने का निर्देश मिला। बावजूद इसके, कलेक्टर कार्यालय ने कोई कार्रवाई नहीं की।
हाईकोर्ट का सख्त रूख
दूसरी बार जब किसान ने हाईकोर्ट में कलेक्टर के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की, तो कोर्ट ने कलेक्टर अवनीश शरण को नोटिस जारी किया और आदेश का पालन नहीं करने का कारण पूछा। कोर्ट ने कलेक्टर को एक सप्ताह का समय दिया है, जवाब नहीं मिलने पर कलेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है।
संभावित सजा और जुर्माना
हाईकोर्ट के निर्देशानुसार, न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने पर संबंधित अफसर को छह महीने की सजा और दो हजार रुपये जुर्माना हो सकता है। कोर्ट सजा और जुर्माना दोनों साथ-साथ भी दे सकता है।
आगे की कार्रवाई
अब यह देखना होगा कि कलेक्टर अवनीश शरण कोर्ट के आदेश का पालन करते हैं या नहीं। अगर जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो उनके खिलाफ क्रिमिनल प्रोसीडिंग शुरू हो सकती है, जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
यह मामला न सिर्फ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से किसानों को परेशानी झेलनी पड़ती है। अगर हाईकोर्ट का सख्त रूख बरकरार रहता है, तो इससे प्रशासनिक अधिकारियों को उनके कर्तव्यों के प्रति अधिक सतर्क रहने का संदेश जाएगा।