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नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब एक चौकी बिछाकर वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। फिर रोली और अक्षत से टीका करें और फिर वहां माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विधि विधान से माता की पूजा करें।आज से मां दुर्गा की पूजा-उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि आरंभ हो गए हैं। मातारानी का ये महाउत्सव 15 अक्तूबर, रविवार से आरंभ होगा और 23 अक्तूबर को समाप्त होगा। नवरात्रि के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं। इन दिनों कई शुभ कार्य किए जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार,नवरात्रि की इन नौ तिथियों में बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। इन्हीं दिनों में अक्सर लोग नया व्यापार शुरू करते हैं या फिर नए घर में प्रवेश करते हैं। नवरात्रि के दौरान घर में पूजा करते हैं तो इसके लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं घर में पूजा करने की विधि और पूजन सामग्री के बारे में। घर में नवरात्रि पूजन कैसे करें? जानें सम्पूर्ण पूजन सामग्री ,पूजा विधि, आरती और चालीसा ।
आज से मां दुर्गा की पूजा-उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि आरंभ हो गए हैं। मातारानी का ये महाउत्सव 15 अक्तूबर, रविवार से आरंभ होगा और 23 अक्तूबर को समाप्त होगा। नवरात्रि के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं। इन दिनों कई शुभ कार्य किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार,नवरात्रि की इन नौ तिथियों में बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। इन्हीं दिनों में अक्सर लोग नया व्यापार शुरू करते हैं या फिर नए घर में प्रवेश करते हैं। नवरात्रि के दौरान घर में पूजा करते हैं तो इसके लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं घर में पूजा करने की विधि और पूजन सामग्री के बारे में।
शारदीय नवरात्रि तिथि मुहूर्त प्रतिपदा तिथि आरंभ- 14 अक्तूबर 2023,शनिवार को रात्रि 11:24 मिनट से प्रतिपदा तिथि का समापन – 15 अक्तूबर रविवार,देर रात 12: 32 मिनट परउदयातिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि 15 अक्तूबर रविवार से आरंभ होगी। इसी दिन कलश स्थापना भी की जाएगी। कलश स्थापना मुहूर्तकलश स्थापना शुभ मुहूर्त: 15 अक्तूबर प्रातः 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 मिनट तक कलश स्थापना के लिए कुल अवधि: 45 मिनट ।
नवरात्रि पूजन सामग्रीकलश स्थापना के लिए सामग्री कलश, मौली, आम के पत्ते का पल्लव (5 आम के पत्ते की डली), रोली, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत, जवार बोने के लिए सामग्री, मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, गेहूं या जौ, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, साफ जल, और कलावा।अखंड ज्योति के लिएपीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, रोली या सिंदूर, अक्षतनौ दिन के लिए हवन सामग्रीनवरात्रि पर भक्त पूरे नौ दिन तक हवन करते हैं। इसके लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, रोली या कुमकुम, अक्षत(चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग, शुद्ध जल (आमचन के लिए)।माता रानी का श्रृंगार श्रृंगार सामग्री माता रानी के लिए लेनी आवश्यक है। लाल चुनरी, चूड़ी, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, बिछिया, माला, पायल, लाली व अन्य श्रृंगार के सामान।विज्ञापनShardiya navratri 2023 know the puja vidhi Tithi timings Samagri list to perform Navratri puja at home4 of 6Shardiya Navratri 2023 – फोटो : iStockविज्ञापनकलश स्थापना पूजा विधिनवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब एक चौकी बिछाकर वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।फिर रोली और अक्षत से टीका करें और फिर वहां माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विधि विधान से माता की पूजा करें।इस बात का ध्यान रखें कि कलश हमेशा उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में स्थापित करें।कलश के मुंह पर चारों तरफ अशोक के पत्ते लगाकर नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांध दें। अब अम्बे मां का आह्वान करें और दीपक जलाकर पूजा करें।
दुर्गा चालीसा का पाठ
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥निरंकार है ज्योति तुम्हारी।तिहूं लोक फैली उजियारी॥शशि ललाट मुख महाविशाला।नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥रूप मातु को अधिक सुहावे।दरश करत जन अति सुख पावे॥तुम संसार शक्ति लै कीना।पालन हेतु अन्न धन दीना॥अन्नपूर्णा हुई जग पाला।तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥प्रलयकाल सब नाशन हारी।तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥रूप सरस्वती को तुम धारा।दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।परगट भई फाड़कर खम्बा॥रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।श्री नारायण अंग समाहीं॥क्षीरसिन्धु में करत विलासा।दयासिन्धु दीजै मन आसा॥हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।महिमा अमित न जात बखानी॥मातंगी अरु धूमावति माता।भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥श्री भैरव तारा जग तारिणी।छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥केहरि वाहन सोह भवानी।लांगुर वीर चलत अगवानी॥कर में खप्पर खड्ग विराजै।जाको देख काल डर भाजै॥सोहै अस्त्र और त्रिशूला।जाते उठत शत्रु हिय शूला॥नगरकोट में तुम्हीं विराजत।तिहुंलोक में डंका बाजत॥शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।रक्तबीज शंखन संहारे॥महिषासुर नृप अति अभिमानी।जेहि अघ भार मही अकुलानी॥रूप कराल कालिका धारा।सेन सहित तुम तिहि संहारा॥परी गाढ़ संतन पर जब जब।भई सहाय मातु तुम तब तब॥अमरपुरी अरु बासव लोका।तब महिमा सब रहें अशोका॥ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥प्रेम भक्ति से जो यश गावें।दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥शंकर आचारज तप कीनो।काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥शक्ति रूप का मरम न पायो।शक्ति गई तब मन पछितायो॥शरणागत हुई कीर्ति बखानी।जय जय जय जगदम्ब भवानी॥भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥मोको मातु कष्ट अति घेरो।तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥आशा तृष्णा निपट सतावें।मोह मदादिक सब बिनशावें॥शत्रु नाश कीजै महारानी।सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥करो कृपा हे मातु दयाला।ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।सब सुख भोग परमपद पावै॥देवीदास शरण निज जानी।करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
दुर्गा मां की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।जय अम्बे गौरी,…।मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।जय अम्बे गौरी,…।कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।जय अम्बे गौरी,…।केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।जय अम्बे गौरी,…। कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।जय अम्बे गौरी,…।शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।जय अम्बे गौरी,…।चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।जय अम्बे गौरी,…।ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।जय अम्बे गौरी,…।चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू। बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।जय अम्बे गौरी,…।तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।जय अम्बे गौरी,…।भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।जय अम्बे गौरी,…।कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।जय अम्बे गौरी,…।अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै। कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।