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कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर से आईपीएस दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता शिक्षा भूषण अवॉर्ड से सम्मानित हुए हैं । उन्हे शिक्षाविदों के मध्य एनसीएफ इंप्लीमेंटेशन फॉर ऑल सस्टेनेबल फ्यूचर थीम पर प्रस्तुत किए अपने नवाचारों से परिपूर्ण प्रेरक विचार मिली सब की सराहना मिली। शिक्षा कोई मंजिल नहीं है यह एक शाश्वत यात्रा है शिक्षा या ज्ञान के बिना जीवन निरर्थक है। जिसने शिक्षा के महत्व को जाना और समझा उसने निश्चित ही समाज और राष्ट्र का नाम रोशन किया है। ज्ञान वह अमूल्य खजाना है जिसे कोई चुरा नहीं सकता और इसे जितना अधिक बांटा जाएगा उतना ही अधिकयह बढ़ जाता है।इन सभी बातों को अक्षरश: सत्य साबित करते हुए इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने शिक्षा के क्षेत्र में और नवाचारों का उपयोग कर रोचक शिक्षा प्रदान करने के क्षेत्र में विभिन्न प्रतिष्ठित हस्तियों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई और अद्वितीय योगदान दिया। तब से काम करते हुए, उन्होंने विभिन्न स्कूलों का नाम रोशन किया है और वर्तमान में पिछले 6 वर्षों से इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में कार्यरत हैं और अपनी अनूठी कार्यशैली और शोध के माध्यम से बहुत कम समय में स्कूल को सफलता की ऊंचाइयों को छूने में मदद की है। इंडस पब्लिक स्कूल, दीपका के इनोवेटिव प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता का मानना है कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं। एक उत्कृष्ट समाज का निर्माण करना है। त्याग, धैर्य, दान, साहस जैसी मानवीय भावनाओं की नींव स्कूल से ही शुरू होती है। मेरा एकमात्र उद्देश्य समाज सेवा, सशक्त राष्ट्र निर्माण, विद्यार्थियों में उच्च मानवीय मूल्यों की स्थापना करना है। वर्तमान में डॉ. संजय गुप्ता इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं।डॉ. संजय गुप्ता को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने पिछले 40 वर्षों से लगातार शिक्षा का प्रसार कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। डीएवी. डीडीएम. कोरबा में अपनी सेवाएँ देने के बाद वे वर्तमान में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. संजय गुप्ता का एकमात्र ध्येय उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से चरित्र और राष्ट्र का निर्माण करना है। डॉ. संजय गुप्ता छात्रों में चरित्र निर्माण के लिए समय-समय पर स्कूल में प्रेरक वक्ताओं के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक गतिविधियों से भी छात्रों को परिचित कराते हैं। उन्होंने एम फिल (गणित) की डिग्री हासिल की है। एम.एड., एमबीए(एचआर), पीएचडी (गणित एवं शिक्षा) और डी लिट (गणित) और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया शिक्षा का मतलब किताबी ज्ञान नहीं है, बल्कि शिक्षा वह है जो मनुष्य को मानवीय मूल्यों के प्रति जागरूक करे।डॉ. संजय गुप्ता के अनुसार. “शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं है, बल्कि शिक्षा ही सच्चा जीवन है।”डॉ. संजय गुप्ता का जन्म 14 जून 1967 को जिला उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। वह शुरू से ही एक मेधावी छात्र रहे हैं, चूँकि उनके माता-पिता भी शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े थे, इसलिए उनकी पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आई। उन्होंने एम फिल (गणित), एमएड, एमबीए (एचआर), पीएचडी (गणित और शिक्षा) और डी.लिट की डिग्री हासिल की है। (गणित) और प्रतिभा का लोहा मनवाया। *उपर्युक्त सभी बातों के मद्दे नजर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाते हुए इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता को शिक्षा भूषण पुरस्कार से सीई डी इंडिया फाउंडेशन के द्वारा होटल रेडिसन उद्योग विहार गुड़गांव में विभिन्न नामचीन हस्तियों की मौजूदगी में एक गरिमामायी सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया ।यह उपलब्धि न सिर्फ विद्यालय के लिए बल्कि समस्त कोयलांचल हेतु गौरवशाली है। शिक्षा भूषण पुरस्कार में आमंत्रित शिक्षाविदों के मध्य एनसीएफ इंप्लीमेंटेशन फॉर ऑल सस्टेनेबल फ्यूचर थीम पर विचार विमर्श किया गया ।डॉक्टर संजय गुप्ता प्राचार्य इंडस पब्लिक स्कूल ने एन सीएफ इंप्लीमेंटेशन फॉर ऑल सस्टेनेबल फ्यूचर थीम पर अपने प्रेरक विचार विभिन्न नामचीन शिक्षाविदों के मध्य व्यक्त किया। एनसीएफ पर शिक्षा से संबंधित उनके विचार सुनकर सभी प्रसन्नचित होकर निरंतर करतल ध्वनि करते रहे। उनके नवाचारों से परिपूर्ण शिक्षा व शिक्षक से संबंधित विचारों का सबने एक स्वर में समर्थन किया। यहां यह बताना अति आवश्यक है कि इस गरिमामयी समारोह में प्रोफेसर एम एम पंत (फार्मर प्रो वाइस चांसलर इग्नू ),मिस अनुभूति मेहता (फार्मर असिस्टेंट कमिश्नर केवीएस), श्री अनुराग कुमार सिंह (अंडर सेक्रेटरी रीजनल ऑफिस सीबीएसई प्रयागराज), श्री राजीव पांडे (अंडर सेक्रेटरी सीबीएसई न्यू दिल्ली ),डॉक्टर प्रियदर्शी नायक (अध्यक्ष सी ई डी ग्रुप) उपस्थित थे। शिक्षा भूषण पुरस्कार हेतु पूरे भारतवर्ष से 28 राज्यों में से 100 सिर्फ शिक्षाविदों को इस महत्वपूर्ण सम्मान हेतु आमंत्रित किया गया था जिसमें इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के डॉक्टर संजय गुप्ता का भी नाम प्रमुख रूप से शामिल था।* *शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव पहल करने हेतु डॉक्टर संजय गुप्ता को शिक्षा भूषण पुरस्कार से नवाजा गया*। सीडी इंडिया जो कि शिक्षा व शिक्षण के क्षेत्र में अभिनव पहल करने वाले व महत्वपूर्ण कार्य करने वाले शिक्षाविदों को सम्मानित करने वाली एक संस्था है, के द्वारा टीचर कॉन्फ्रेंस का यह 9 वा संस्करण गुड़गांव के होटल रेडिसन में आयोजित किया गया ।जिसमें डॉक्टर संजय गुप्ता प्राचार्य ,इंडस पब्लिक स्कूल विशेष आमंत्रित शिक्षाविदों में शामिल थे। इस परिचर्चा में सीएफ 2023 वह नप 2020 विषय पर गहन विस्तृत चर्चा की गई नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 विषय पर डॉ संजय गुप्ता ने अपने प्रेरक सुझाव प्रस्तुत किया उनके सुझावों का सभी शिक्षाविदों ने एक स्वर में समर्थन किया। डॉ संजय गुप्ता ने शिक्षा व शिक्षक से संबंधित विभिन्न नवाचार प्रस्तुत किया उन्होंने शिक्षाविदों के मध्य अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज की शिक्षा में हमें आध्यात्मिकता ,नैतिकता व वैज्ञानिकता का समावेश शिक्षा में अवश्य करना चाहिए। बच्चे शिक्षित तो हो रहे हैं लेकिन मुझे लगता है कि वह नैतिकता से दूर होते जा रहे हैं। अतः हमें उन्हें प्राचीन वेदों व संस्कृतियों से भी निरंतर अवगत कराते रहना चाहिए। आज हम भले ही चांद पर अपनी पहुंच बन चुके हैं लेकिन हमें इसी पृथ्वी पर रहकर अनेक बुलंदियों को और स्पर्श करना है। जिसके लिए हमारे व्यवहार में विनम्रता, नैतिकता व संस्कार तीनों का सामंजस्य होना अति आवश्यक है ।हमें बालकों को बालकों की मनःस्थिति को समझ कर शिक्षित करना होगा ।शिक्षा का उद्देश्य बालकों के मन को समझ कर बिना दबाव के शिक्षा देकर उसके व्यवहार में परिवर्तन करना होता है ना कि अंको की दौड़ में घोड़े बनाकर रेस ट्रैक पर छोड़ देना। यह बात गुरुजनों के साथ-साथ अभिभावकों को भी समझना होगा ।नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम में भी बाल मनोभावों को सम्मुख रखकर हमें पाठों का समावेश अवश्य करना चाहिए ।हमें विद्यालय में भी विद्यार्थियों को समझाना होगा कि शिक्षा का उद्देश्य व्यवहार में परिवर्तन है यदि हम शिक्षित हुए लेकिन नैतिकता में हम शून्य हैं तो ऐसी भी शिक्षा क्या शिक्षा। हमें विद्यार्थियों को रचनात्मक सोच हेतु निरंतर प्रेरित करना होगा ।उन्हें करके सीखने पर बोल देना होगा समूह में बांटकर एक टास्क देकर उसको पूरा करने हेतु विद्यार्थियों को निरंतर प्रेरित करना होगा ,क्योंकि खुद से सीख गया ज्ञान विद्यार्थी ताउम्र नहीं भूलेगा और यही नॉलेज पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफॉर्म होता है ।हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए।